Saturday, July 7, 2012



धर्मेन्द्र सिंह सेखों की क्षणिकाएं .......(पंजाबी से अनुदित , अनु: हरकीरत 'हीर')

नाम  :    धर्मेन्द्र  सेखों
जन्म  :   8 अप्रैल 1977
शिक्षा  :   ऍम.ए..बी.एड ,PGDCA,  IT
कृतित्व : कासिका ( काव्य संग्रह) , नेट पर dsekhon.blogspot.com नामक ब्लॉग 
संपर्क  :  गाँव- बोडावाल , तहिसाल , बुढलाडा , जिला मनसा  -151502
मौजूदा पता :   615, फौज -2, मौहाली
मो.  : +91 89680 66775
ई मेल  :    dharminderbittu@gmail.com



(१)
उन्होंने  ...
फिर  किस  वक़्त
छेड़ दी हथियारों की बात ?
जरा पूछो तो सही
जिनसे मैं सारी रात
फूलों की बात करता रहा ......!!
(२)
तेरे ही कारण
आज धूप निकली
तेरे ही कारण फूल खिले
और शुरू कर दिया
भंवरों ने गीत गाना
तेरे ही कारण
किण मिन बारिश हुई
तेरे  ही  कारण 
आँसू हैं इन आँखों में  .....
(3)
मेरी  कविता 
नहीं  करती  सामाजिक
सरोकारों  की  बात
मेरी कविता  नहीं  करती 
आर्थिक समस्याओं की भी  बात
यह नहीं करती चोरी -डकैती  पे सवाल
मेरी  कविता  देखती है
ढाबे पे ...
रोटियाँ बांटता वह बाल .....
(4)
सूखे पत्तों ,
हवाओं दरख्तों  की
बड़ी अजीब सी कविता
कलिष्ट भरे शब्दों का डाल जंजाल
मैं उसे सुनाता हूँ
देख मेरी नई कविता ...
वह सुनती है ,मुस्कुराती है
बहुत बढ़िया कह कर
गहरी सांसे लेने लगती है
बोली -यहाँ दम घुटता है
चलो कहीं हरियाली ढूँढें ....
(५)
जब हम जुदा हुए थे
तब यूँ ही इक छोटा सा वादा था
'' फिर मिलेंगे .''
आज उस जगह पर उगा
छोटा सा पौधा
दरख़्त  बन गया है
पर न कभी तुम लौट पाई
और न मैं ......

(6)

कभी-कभी की बात ....


उसे जाकर बता दे
अंधे ज़ख्मों की
चलितरी हँसी
अँधेरे की होंद से
मुकरना हो गया
चल यार
घूँट पी
कविता फिर लिखेंगे ....


संपर्क : गाँव-बोड़ावाल (मनसा) पंजाब-१५१५०२
मो 08968066775

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