Saturday, July 7, 2012


दर्शन दरवेश की क्षणिकाएं .......(पंजाबी से अनुदित )
नाम- सुखदर्शन सेखों
शिक्षा - स्नातक , डिप्लोमा इन नैचुरोपैथी
कृतित्व- टी.वी धारावाहिक दाने अनार के (
लेखक निर्देशक  ),ए.डी फिल्म(हिंदुस्तान कम्बाइन,गुरु रिपेयर ,डिस्कवरी जींस , राजा नस्बर, बिसलेरी, ओक्सेम्बेर्ग, डोकोमेन्ट्री फिल्म (चौपाल गिद्दा , नगर कीर्तन , एक अकेली लड़की, यू आर इन अ क्यू ) टेली फिल्म (एक मसीहा होर, सितारों से आगे , बचपन डा प्यार , है मीरा  रानिये, धोखा , झूठे साजना, सोनिका तेरे बिन , बरसात आदि )
संवाद लेखन , धारावाहिकों के शीर्षक गीतों का लेखन , गीत, नज्में , कहानियाँ ,उपन्यास ,फीचर फिल्म  
सम्प्रति - फिल्म निर्माता निर्देशक और लेखक 
संपर्क -  darshan darvesh M.I.G.

1362/11 , sector -65
S.A.S Nagar , Mohali-160062 (punjab )

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 Phone: +919779955887, +919041411198 .

जब भी मिलता है
उसमें आग  लगी होती है
और वह मुझे
 झुलसा जाता है
सारे का सारा
भीतर तक .....
(२)
राख़ के ढेर में
तुम देख सकते हो
उसका तांडव
पर वह ...
मेरे अन्दर कहीं
संभाल रहा होता है
नागमणि....
(३)
वोडका के नशे सा बातें करता
वह तुम्हारे अन्दर
ज़हर का छींटा देता है
और तुम जब अपनी नसों में
उतरता महसूस करते हो ज़हर
तब वह वर्तमान के कुएं में
उतर रहा होता है
और तुम उसके साथ चल रहे होते हो......

(४)

वो भीतर से गहरा है
वानगाग के चित्रों जैसा
और शोभा सिंह की तुलिका के
स्पर्श जितना ....
ऊपर से सरल है
तरल भी
और जुझारू भी .....

(५)
संदीपिका
उसकी पत्नी नहीं
पूर्ण प्रेमिका है
ग़र वह पत्नी तक ही महदूद होती
तब  वह शायर नहीं
इक
चिड़चिड़ा
अध्यापक होता .....
(6)

जब वे किसी भी गीत को
मर्सिया बनते देखते
तो
अपने ही
अन-पहचाने बोलों के परदे में चलते
इतने खामोश हो जाते थे
कि....
क़त्लगाह का खौफ़ भी
चला जाता था
दूर  .....

(७)

तेरे सिवा उसे
कोई न मिला
जो उसकी कब्र के कुतबे पे
चार सतरें  लिख सकता
विलाप की ....
और उस ख़ामोशी को
दे सकता इक नाम ....

(८)
अब तो उसे
जो भी तकता है 
इक रेतेली सी हँसी
हँस जाता है ...
और उसके तप को
कह जाता है
दर-ब-दर का
इक काला दाग ......

(९)
तुम....
लौट आना
मज़ार से
मिलकर
आंसुओं को  .....

अनु: हरकीरत 'हीर'
गुवाहाटी

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