Saturday, July 7, 2012

नाम-    सुरजीत कौर
जन्म-    देव नगर , न्यू दिल्ली
शिक्षा-    B.A. Hons., M.Phil. in Punjabi Language and Literature
कृतित्व-   देश और विदेश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित , दो काव्य पुस्तकें - शिकस्त रंग , हे सखी  , नेट पे अपना हिंदी और पंजाबी का www.surjitkaur.blogspot.com www.sirjanhari.blogspot.com नामक ब्लॉग
सम्मान-   अमरीका  एवं भारत की  अन्य साहित्यिक  सभाओं द्वारा सन्मानित
सम्प्रति-    working as an interpreter.

संपर्क-    surjit.sound@gmail.com 
                 905-216-4981 
                 33 Bonistel Crescent
                 Brampton, ON, L7A3G8
                 Canada
सुरजीत कौर की क्षणिकाएं ....(पंजाबी से अनुदित, अनु. हरकीरत 'हीर' )

(१)

ठहर गया ...
चलता-चलता
समुन्द्र भी
जरुर इसने मेरा ख़त
पढ़ लिया होगा ....!!

(२)
यूँ तो ...
रौशनी ही रौशनी है
इस शहर में
पर जिस घर में भी
दस्तक दी , वहीँ
चिराग गुल मिले  ....

(३)

सुहावनी सुब्ह
खुबसूरत मौसम
झील में तैर रही  कुछ बत्तखें
सिखा रही हैं तैरना
सीख रहे हैं चूजे
आनंदित हैं बच्चे
तालियाँ बजाकर ....!!

(४)

हवा भी ..
उसकी गवाह न थी
जो हादसे हुए
दिल के अन्दर

(५)

लिख दिया ...
अपना पता मैंने
हवा के ज़िस्म पर
देना है ग़र तो दे दे
फिर किसी हादसे को ....

(६)

लफ्ज़ शीरी
सुखन शीरी
सूरत शीरी
रब्ब बरकरार रखे
 ये दोस्ती हमारी   ....

(७)

वह...
बिजली बन
कड़कता रहा...
मैं...
घटा बन ...
बरसती रही .....

(८)

जल रहा है दीया
जल रही है सोच कोई
जागेंगे हर्फ़ आज
बनेगी नज़्म कोई
जल दीये जलता चल .....

(९)

सूरज ...
समुन्द्र में उतर गया
पंछी नीड़ों ओर मुड़ गए
एक शख्स अब भी उलझा है
झील की तरंगों में
भूल कर घर का पता ....

(१०)
कच्चा है मन
कच्चा है तन
बता अय  सखी
कौन सा खेल खेलें
मतवाली रुत में ....

अनु. हरकीरत 'हीर'

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