Friday, November 22, 2013

रेयर कौम  ....

अगर कभी किसी कौम के लोग ही
हमलावर सिकंदर की
नंगी तलवारों के आगे खड़े होकर
गुलाम होने से इंकार कर देते
तो पागल सिकंदर सारी कौम को कत्ल करके भी
उस रेयर इंकार को कभी भी
 पार न कर सकता  …
काश !
ऐसी रेयर निडर और आज़ाद
एक कौम पैदा हो गई होती अपनी ज़मीन पर
फिर तो अपनी ज़रखेज़ ज़मीन ने
पूरा देश बना देना था
हमेशा के लिए एक निडर देश -रेयर देश
हमलावर मुक्त सिकंदर मुक्त  …
(२)

प्यार  ....
अगर
प्यार ही मज़हब होता
न कोई पूजा होती न पाठ
और न ही किसी को माथा टेकना पड़ता
मज़हब भी आज़ाद होता
और बंदा भी  ....
(३)
दो मुहब्ब्तें  ....
इक औरत ने मुहब्बत से
मुझे ज़िन्दगी दी थी
और इक औरत ने मुहब्बत से
मुझसे ज़िन्दगी ले ली है  ....
(४)
रिश्ते  …
मर्जी रिश्ते बनती
पर मर्जी दखल नहीं बनती
रिश्ते दखल मुक्ति हो सकते हैं
अगर आदर रिश्ते जिए  ....
(५)
मुहब्बत  ....
शुक्र है
ज़िन्दगी में मुहब्बत है
चाहे स्वप्न जितनी ही सही
ज़िन्दगी जितनी तो सिर्फ
हीरों को मिलती है
रांझों को मिलती है  ....
(६)
दीदार  …

मुहब्बत
रब्ब का दीदार है
जितनी बार दिल करे
जब भी दिल करे
न पूजा की जरुरत है न पाठ की  …
मुहब्बत
रब्ब का भी दीदार है
और अपना भी  …

इमरोज़
अनुवाद - हरकीरत हीर

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