Wednesday, July 10, 2013

इमरोज़ जी की कुछ और कविताओं का अनुवाद .......!

इक जरा सी समझ ...


हीर को जब मुहब्बत हुई
घर के लोगों को समझ नहीं आई
और चाचे को तो कबूल ही नहीं हुई
मुहब्बत में और खूबसूरत हो जाते हैं
हीर भी और खुबसूरत हो गई थी
मुहब्बत की खूबसूरती देख-देख कर
कइयों की खूबसूरती जाग जाती है
वे भी खूबसूरत होने लग पड़ते हैं ...
पर कई ...
मुहब्बत की खूबसूरती देख बुझ जाते हैं
जैसे हीर का चाचा बुझ कर चाचा ही न रहा
कैदो हो गया ...
वैसे हीर का चाचा ही हीर की मुहब्बत देख
बुझ कर कैदो नहीं हुआ ...
जिस घर में भी हीर जन्म लेती है अनचाहे
माँ - बाप को मुहब्बत कबूल नहीं होती
उस के माँ- बाप भी हीर के चाचे की तरह
बुझ कर कैदो हो जाते हैं .....
आँखों को देखना आता है
देख कर समझना नहीं
आम लोगों को जो दिखता है
वह समझ नहीं आता
यह लोग ही हमारा समाज हैं
जिस दिन भी लोगों को यह सब जागना बुझना
समझ आ गया
दुनिया बदल जाएगी
यह समाज बदल जाएगा
सब के चाचे सब के माँ - बाप अपने आप को भी समझ लेंगे
और अपनी हीरों को भी ...
अपने आप से गैर हाजिर ही
अपने आप संग अनचाहे हैं
और अपने आप संग हाजिर मनचाहे
इक जरा सा समझ का फर्क है इक अनगोली समझ का .....



इमरोज़ -
अनुवाद - हरकीरत  हीर

(2)

सोच जैसा ....

कई चीजे ढूंढते नहीं मिलतीं
वे अपने आप मिल जाती हैं मिलती रहती हैं
वह भी आज अपने आप ही मिल गई
उसने मिल कर
न कोई संकोच किया न शरमाई बस मुझे ही देखती रही
जैसे सुबह की शाम की  कल की
मुझे ही उडीकती रही हो सोचती रही हो
तुम मुझे कब की सोच रही हो ...?
जब मैंने अपने आपको सोच लिया
तुझे भी सोच लिया
जितनी देर तुम नहीं मिले मैं सोचती रही
मैंने जहां भी लिखा जा सकता था
तेरी गैर हाजिरी लिखती आ रही हूँ
आज कल दफ्तर जाते भी और आते भी
तेरे स्कूटर के पीछे बैठ कर भी
तेरी पीठ पर तेरी गैर हाजिरी लिखती जा रही हूँ
अभी-अभी मुझे होश आई है
कि यह मैं क्या कर रही हूँ
हाजिर की पीठ पर ही गैर हाजिर लिखती आ रही हूँ
अब पहले मुझे तेरी पीठ चूम-चूम कर
सब लिखा अनलिखा कर लेने दे
देख मेरे जैसे गैर हाजिर कोई नहीं
और तेरे जैसी सोच जैसा हाजिर भी
कोई नहीं होगा ......


- इमरोज़
अनुवाद - हरकीरत हीर


(३)
फ्रेम मुक्त ....

रात सपने में इक सपना देखा
मोनालिसा जैसी खुबसूरत लड़की
इक फ्रेम में लगी दीवार पर टंगी
मेरी और देख -देख कर मुस्कुरा रही थी
जब मैंने उसे देखती को देखा वह भरी आँखों से
मुस्कुरा कर देखती हुई बोली
मैंने देख कर तुझे देख लिया हैं
तेरा ही इन्तजार था
अपना हाथ पकड़ा मैं फ्रेम मुक्त होना चाहती हूँ
तेरे हाथों में आकर फ़िक्र मुक्त भी
हमें फ्रेम मुक्त देख देखकर फ्रेम मुस्कुरा रहा था ..
और हम हँसते जा रहे थे ..
फ्रेम पेटेंड तस्वीरों के लिए होते हैं
म्यूजियम में टांगने के लिए
और संस्कार चलती फिरती तस्वीरों के लिए होते हैं
समाज की दीवारों में टांगने के लिए ...
मैं सुबह की चाय पी रहा था
कि उसका बड़ा खुश मैसेज मिला
कि वह फ्रेम मुक्त होकर आ रही है .....



- इमरोज़
अनुवाद - हरकीरत हीर

(४)

उडीक ...

तूने मुझ में ख़ास क्या देखा है
तुझे ही उडीक कर देखा है
तुम अपनी तरह की खूबसूरत हो
तेरी हर चीज तेरे जैसी खूबसूरत है
तुझे मैं तब से सोच रहा हूँ उडीक रहा हूँ
जब से मैंने अपने आप को सोच लिया था
हर मर्जी उडीक कर ही मिलती है
इस टी सैट को ही देख ले
इसे पिछले साल ही पसंद करके आया था
और इस साल लेकर आ सका हूँ
तेरे कमरे को सजाने की जरुरत नहीं
सजावट की जरुरत भी है और सजावट भी है
मेरी मौजूदगी मेरे कमरे की सजावट है
अपनी मौजूदगी से ज्यादा खूबसूरत कोई सजावट नहीं
तुम खूबसूरत किसे समझते हो
जिसे देखकर देखने वाला भी खूबसूरत होता रहे
अच्छा लगा यह जानकार
जिसे मैं उडीकता रहा हूँ
वह भी मुझे उडीकती रही है
चल आ अब नए टी सैट में चाय बना
और दोनों उडीकों को मिलकर चाय पीते देखें
लगता है
ज़िन्दगी उडीकते प्यालों में
चाय पीते रहना ही है ......

- इमरोज़
अनुवाद - हरकीरत हीर

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