Saturday, May 4, 2013

इमरोज़ की कुछ नज्में ....

अर्थ ....


अगर बिजली की मौजूदगी में
दो गैसें आक्सीजन और हाइट्रोजन 
आपस में मिलकर
पानी बन सकती हैं
फिर तो ...
मुहब्बत की हाजिरी में
हम भी अपने अपने इनकार और इकरार को
मिलाकर बादल बना  सकते  हैं ...
क्या कर रही हो ..?
नींद आ गई थी  ...?
दिल की लगी वालों को कभी नींद नहीं आती
तुझे कैसे आ गई ?
तुम कोई बलोच हो
नहीं मैं बादल हूँ
तेरी मर्जी पूछने आया हूँ
चाहने वाले मर्जी नहीं पूछते मर्जी करते हैं ....
तुम तो सचमुच सारे के सारे बरस गए हो
भीगना नहीं चाहते हुए भी आज मैं
सारी की सारी भीग गई हूँ
तुम्हारे साथ भी और अपने साथ भी ...
सच बताना ...
तुम इनकार के बादल हो या इकरार के ..?
मैं दोनों का अर्थ हूँ ..
जैसे तुम और मैं इक दूजे के अर्थ
मुहब्बत के अर्थ .....

(२)
इलाही गीत ....


इंसान आज़ाद नहीं
अपने आप से
हवाएं आज़ाद हैं
अपने आप से ...
शब्द नज़्म बनते हैं
पर हीर नहीं बनते
हीर मुहब्बत बनती है ....
किस्से , कहानियाँ सोच बनाती है
पर सोच मुहब्बत नहीं बनाती
हीर किसी की कोई नज़्म बने न बने
पर हीर मुहब्बत का
एक इलाही गीत बन गई है
जिसे खामोश सदियाँ
गाती आ रही हैं जाग- जाग कर  ....
इस इलाही गीत को
जो भी मुहब्बत संग जागकर
गाता है वह रांझा-रांझा हो जाता है
और मुहब्बत के संग जागकर
जो भी इस इलाही गीत को सुनती है
वह हीर हीर हो जाती है ...
इस गीत को गाते -गाते भी
और सुनते -सुनते भी
मैं भी कई बार वारिस वारिस हुआ हूँ ....

(३)

कर्ज़दार ...

बार -बार कर्ज़दार हो -होकर
क्यों कर्ज़दार बना रही हो
देख ...
खामोश मुहब्बत भी
हँस रही है .....

अनुवाद - हरकीरत हीर

2 comments:

  1. 1. तुम तो सचमुच सारे के सारे बरस गए हो
    भीगना नहीं चाहते हुए भी आज मैं
    सारी की सारी भीग गई हूँ....
    2. जो भी मुहब्बत संग जागकर
    गाता है वह रांझा-रांझा हो जाता है....
    3.देख ...
    खामोश मुहब्बत भी
    हँस रही है .....
    -----------------
    sab ek se badkkar ek..

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