Thursday, September 6, 2012

खास दिन .....३१/८/१२

किसी खास के साथ
कोई भी दिन ख़ास हो जाता है
जिस दिन हीर जन्मी थी
वह दिन भी खास था
और खुद वह इतनी खास थी और ख़ास है भी ...
कि हम आज भी उसे गा-गा कर कभी थके ही नहीं ...

जिस दिन कोई हीर हुई थी -अपनी मुहब्बत से
वह दिन भी ख़ास है और ख़ास है भी
और जिस दिन किसी की तलाश हीर होगी
वह दिन भी खास बन जाएगा ....

इक ख़ास के साथ
आम दिन भी , आम महीना भी
आम साल भी , आम सदी भी
ख़ास हो जाती है , ख़ास हो भी रही है ....

इक ख़ास का
आज जन्म हुआ था
वह दिन भी ख़ास था -३१ अगस्त का दिन
वह खुद कल भी ख़ास थी
और आज भी ख़ास है ......

मूल  : इमरोज़
अनु;हरकीरत हीर

(२)

तलाश ....

किसी की तलाश है
ख्याल के तलाश की तलाश
कोई ख़ास ही
ख्याल की तलाश हो सकता है
जी करता है
इक बादल बन उड़ता फिरूं
ढूंढता फिरूं
जहाँ भी जब भी
वह ख्याल की तलाश दिख पड़े
उस पर सारे का सारा
बरस जाऊँ
और खाली होकर भी खाली न होऊँ .....

मूल  : इमरोज़
अनु;हरकीरत हीर

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