Thursday, September 6, 2012

इमरोज़ के हीर को लिख खतों का हिंदी अनुवाद ......

उडीक ...
..:इमरोज़  (२७/८/१२)

वक़्त की शायरी को भी
और वक़्त के रंगों को भी याद है
जिस दिन तू हीर हुई थी ...

हीर को देख
कोई भी कुछ भी हो सकता है
बांसुरीगाने  वाला भी
कागचों को शायरी से रंगने वाला भी
और कैनवास को ख्यालों से जगाने वाला भी .....

तू चूरी बना
अपनी नयी नज़्मों की चूरी
और दिल का दरवाजा खोल कर देख
किसी न किसी ओर से
कोई गाती बांसुरी पर गाता आ रहा है
उड़ते कागचों की उड़ती आ रही शायरी को
और कैनवास पर चले आ रहे जागते ख्यालों को ....

अय हीर ! तू ही उडीक है
और तू ही हीर  ......

अनु. हरकीरत हीर

(२)

तुम्हारा नाम  .... .....इमरोज़

कोई नज़र में है ....
अभी तो अपना आप ही नज़र में है
और अपना आप
अपनी मर्ज़ी का बन रहा है
उठते -बैठते इक नया ख्याल
और कितना जरुरी भी ....

तुम किस तरह मिलोगी ...?
जिस तरह आज मिली थी ...?
तुम्हारा नाम
मर्ज़ी .....

तुम ये क्या कर रही हो ...
ख्यालों को रंग दे भी रही हो
और ख्यालों से रंग ले भी रही हो ....?
कितना खूबसूरत है
तुम्हारा ये लेना देना ...
कब मिलोगी ...?
जिस दिन कोई नया ख्याल मिल गया ....?
तुम्हारा नाम ...
''ख्याल....''

अनु. हरकीरत हीर

(३)

अपने आप के रंग ....इमरोज़

इक कैनवास
 ऐसा भी है
जिसे ....
अपने आप के रंगों से
रंग लिया जाता है ...
लेकिन ....
 अपने आप के रंग
किसी-किसी के पास ही
होते हैं ......

अनु: हरकीरत हीर

(४)

मनचाही किस्मत ......इमरोज़

तुम्हारे कमरे में लगीं
तुम्हारी  पेंटिंग्स कहाँ हैं ....?
मेरे आज को जगा कर सारी की सारी
मेरा कल हो गईं ....

हँस कर कहने लगी
जाग कर क्या कर रहे हो
आज तक मर्ज़ी की पेंटिंग नहीं बना पाए
मर्ज़ी की पेंटिंग बनाने के लिए
अपने आप को मर्जी का बना रहा हूँ ...

यह सोच सुन  ,यह रेयर  सोच सुन
वह सोचने लग पड़ी ...
किसी पढाई में यह सोच क्यों नहीं ..
न बाहर की पढाई में
न अन्दर की पढाई में ....

सोचना छोड़ ...
आ अपनी मर्ज़ी के रंग देखें ....
तुम मेरी आँखों में देखो
मैं तुम्हारी आँखों में ...
सादा सहज ज़िन्दगी के खूबसूरत रंग
तुम भी देख सकती हो और मैं भी
ज़िन्दगी की पेंटिंग अपने-अपने अनुभवों से
तुम मेरे लिए बनाओ और मैं तेरे लिए बनाऊँ ....

मेरी पीठ पर अब तुम क्या लिख रही हो ...
जो सिर्फ तुम्हारी पीठ पर ही लिख सकती हूँ ....
अपनी किस्मत ....
अपनी मनचाही किस्मत ......

मूल : इमरोज़
अनु: हरकीरत हीर

No comments:

Post a Comment