आज पढ़ें इमरोज़ जी की लिखी कुछ उक्तियाँ ……
(१)
आज़ाद …
आज़ाद वह है जो गुलाम होने से
सच …
किसी का सच
(११)
किसी को ....
किसी को जानने से पहले
अपने आप को जान लो …
(१२ )
तलवार ....
तलवार से
हकूमत हो सकती है
मुहब्बत नहीं ....
(१३)
जरुरत ....
मैंने भगवान को
कभी नाराज नहीं किया
खुश करने की जरुरत ही नहीं ....
(१४ )
ग्रेट …
हमलावर को
ग्रेट कहते जाना , लिखते जाना
इतिहास नहीं
ग्रेट गलत बयानी है …
(१५)
भगवान ....
इक नया ख्याल
पूज लो
चाहे जी लो …
(१६)
मर्द ....
मर्द अभी तक नहीं जागा
न अपना आदर करता है
न औरत का ……
(१७)
जाल ....
जाल को भूल जाओ
जब मछली पकड़ी गई
ग्रन्थ को भूल जाओ
जब समझ आ गई ....
(१८)
अर्थ ....
यूँ ही ग्रन्थ न पढ़ो
अगर अर्थ नहीं बनता …
(१९)
न - शब्द ....
प्यार सिर्फ एक
न - शब्द जुबान है
कल की हीर भी जानती थी
और आज की हीर भी जानती है ....
(२०)
बटन पर कोट ....
इक दीवाने ने
इक घर का दरवाज़ा खटखटाया
औरत ने दरवाज़ा खोला
तो दीवाना बोला
जी बड़ी मेहरबानी होगी
अगर आप मेरे कोट पर बटन टांक दें
औरत ने दीवाने को अंदर बुला लिया
दीवाने ने औरत को बटन पकड़ा दिया
बटन पकड़ कर औरत ने पूछा कोट किधर है ?
मेरे पास तो बटन ही है और सोच लिया था
आप इस बटन पर कोट सी देगीं
औरत सुनकर हैरान
कि बटन पर कोट कैसे सीए …
अगर मुहब्बत औरत होती
दीवाने को देख - देख
उस के बटन पर भी कोट सी देना था
दीवाने ही रांझे होते हैं …
अनुवाद - हरकीरत हीर
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