इमरोज़ की कुछ नज्में ......
आज़ाद मुहब्बत ....
मनुष्य आज़ाद नहीं
हवाएं आज़ाद हैं
हवाओं को मुहब्बत का भी पता है
और खामोश मुहब्बत का भी
शब्द नज़्म बनता है
वारिश बनता है
पर हीर नहीं बनता
हीर मुहब्बत का नाम है
किस्से कहानियाँ सोच लिखती है
पर सोच मुहब्बत नहीं बनती
ना सोच मुहब्बत की गवाह बनती है
गवाह सिर्फ हवाएं बनती हैं
हवाओं में मुहब्बतों ने मुहब्बत की सांस ली
खामोश मुहब्बत की साँस .......
हीर को मुहब्बत को वारिश की जरुरत नहीं
वारिश को हीर की जरुरत है किस्से लिखने के लिए
हीर कोई नज़्म बने ना बने
हीर मुहब्बत का एक इलाही गीत है
मुहब्बत के साथ जाग कर गाने वाला .....
पता नहीं कब
पर जब कोई औरत पहली हीर हुई होगी
मुहब्बत हुई होगी
तभी इस मुहब्बत का इलाही गीत बना होगा
मुहब्बतें गा रही हैं यह इलाही गीत
हवाएं गा रही हैं यह इलाही गीत
हवाएं सुना रही हैं यह इलाही गीत
इस मुहब्बत का हीर का गीत
हवाओं में से
कोई भी सुन सकता है
यह इलाही गीत ,यह मुहब्बत का गीत
मुहब्बत के साथ जागकर .....
(2)
खाली कागज़ ....
वह खाली कागज़ पढ़ रही है
पता नहीं कब से
आकर मैं उसे देख रहा हूँ
पर उसने मुझे नहीं देखा
जब उसने मुझे देखा
उठकर बोली
कमाल है
प्यार के आने की भी
कोई आवाज़ नहीं आई
जैसे खाली कागज़ पढ़ते वक़्त
किसी अर्थ की आवाज़ नहीं आती .....
तुम कितने अच्छे हो
हर वक़्त मेरी उडीक बने रहते हो
आ पहले मिलकर चाय बनाते हैं
चाय पिटे हैं
खाली कागज़ पढ़ -पढ़कर
आज कुछ लिखा है
चाय पीकर तुझे
सुनाती हूँ
तुझे भी और अपने आप को भी .....
(३)
ख़ुशी ....
हालात कुछ भी हों
अब अपने आपसे
खुश होना आ गया है
सादगी भी, स्पष्टता भी मिलकर
ज़िन्दगी के साथ- साथ चलती हैं
अपने आप जैसा होकर
आज़ाद होकर
अपना सच आप बन रहा हूँ
सोच ....
दिन की ख़ूबसूरती देख -देख
खूबसूरत होती रहती है
और रात की ख़ूबसूरती देख -देख
खूबसूरत भी होती रहती है और जागती भी रहती है ...
ख़ुशी .....
खुद ही अपना मजहब भी होती रहती है
और खुद ही अपनी पूजा भी ......
(४)
मनचाही नस्ल ....
किसान भी
फसल बीजते वक़्त
मनचाहा बीज सोचता है
पर पता नहीं क्यों
न औरत
बच्चा जन्मते वक़्त
मनचाहा मर्द सोचती है
और न ही मर्द
नस्ल जन्मते वक़्त
मनचाही औरत सोचता है
किसी के साथ भी
कहीं भी सोकर
जागती नस्ल पैदा नहीं हो सकती .....
इमरोज़
अनु - हरकीरत हीर
आज़ाद मुहब्बत ....
मनुष्य आज़ाद नहीं
हवाएं आज़ाद हैं
हवाओं को मुहब्बत का भी पता है
और खामोश मुहब्बत का भी
शब्द नज़्म बनता है
वारिश बनता है
पर हीर नहीं बनता
हीर मुहब्बत का नाम है
किस्से कहानियाँ सोच लिखती है
पर सोच मुहब्बत नहीं बनती
ना सोच मुहब्बत की गवाह बनती है
गवाह सिर्फ हवाएं बनती हैं
हवाओं में मुहब्बतों ने मुहब्बत की सांस ली
खामोश मुहब्बत की साँस .......
हीर को मुहब्बत को वारिश की जरुरत नहीं
वारिश को हीर की जरुरत है किस्से लिखने के लिए
हीर कोई नज़्म बने ना बने
हीर मुहब्बत का एक इलाही गीत है
मुहब्बत के साथ जाग कर गाने वाला .....
पता नहीं कब
पर जब कोई औरत पहली हीर हुई होगी
मुहब्बत हुई होगी
तभी इस मुहब्बत का इलाही गीत बना होगा
मुहब्बतें गा रही हैं यह इलाही गीत
हवाएं गा रही हैं यह इलाही गीत
हवाएं सुना रही हैं यह इलाही गीत
इस मुहब्बत का हीर का गीत
हवाओं में से
कोई भी सुन सकता है
यह इलाही गीत ,यह मुहब्बत का गीत
मुहब्बत के साथ जागकर .....
(2)
खाली कागज़ ....
वह खाली कागज़ पढ़ रही है
पता नहीं कब से
आकर मैं उसे देख रहा हूँ
पर उसने मुझे नहीं देखा
जब उसने मुझे देखा
उठकर बोली
कमाल है
प्यार के आने की भी
कोई आवाज़ नहीं आई
जैसे खाली कागज़ पढ़ते वक़्त
किसी अर्थ की आवाज़ नहीं आती .....
तुम कितने अच्छे हो
हर वक़्त मेरी उडीक बने रहते हो
आ पहले मिलकर चाय बनाते हैं
चाय पिटे हैं
खाली कागज़ पढ़ -पढ़कर
आज कुछ लिखा है
चाय पीकर तुझे
सुनाती हूँ
तुझे भी और अपने आप को भी .....
(३)
ख़ुशी ....
हालात कुछ भी हों
अब अपने आपसे
खुश होना आ गया है
सादगी भी, स्पष्टता भी मिलकर
ज़िन्दगी के साथ- साथ चलती हैं
अपने आप जैसा होकर
आज़ाद होकर
अपना सच आप बन रहा हूँ
सोच ....
दिन की ख़ूबसूरती देख -देख
खूबसूरत होती रहती है
और रात की ख़ूबसूरती देख -देख
खूबसूरत भी होती रहती है और जागती भी रहती है ...
ख़ुशी .....
खुद ही अपना मजहब भी होती रहती है
और खुद ही अपनी पूजा भी ......
(४)
मनचाही नस्ल ....
किसान भी
फसल बीजते वक़्त
मनचाहा बीज सोचता है
पर पता नहीं क्यों
न औरत
बच्चा जन्मते वक़्त
मनचाहा मर्द सोचती है
और न ही मर्द
नस्ल जन्मते वक़्त
मनचाही औरत सोचता है
किसी के साथ भी
कहीं भी सोकर
जागती नस्ल पैदा नहीं हो सकती .....
इमरोज़
अनु - हरकीरत हीर
मुहब्बतें गा रही हैं यह इलाही गीत
ReplyDeleteहवाएं गा रही हैं यह इलाही गीत
हवाएं सुना रही हैं यह इलाही गीत
इस मुहब्बत का हीर का गीत
.....................
behad-behad hi sundar
बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteबहुत उम्दा है ...बधाई
ReplyDeletebahut khoob ...
ReplyDeletebahut hi khoobsoorat aur shandaar
ReplyDeleteaap anuwaad kar rahi hai...umdaa or shaandaar kaam hai..naman aapko.
ReplyDeleteपर जब कोई औरत पहली हीर हुई होगी
ReplyDeleteमुहब्बत हुई होगी
तभी इस मुहब्बत का इलाही गीत बना होगा
मुहब्बतें गा रही हैं यह इलाही गीत
हवाएं गा रही हैं यह इलाही गीत ...
WAAAAh !!!
हालात कुछ भी हों
ReplyDeleteअब अपने आपसे
खुश होना आ गया है...
बेहतरीन
नज्में बेहद खूबसूरत हैं ।
ReplyDeletesend birthday gifts for sister online
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